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लेखनी कहानी -17-May-2022 धारावाहिक : बहू पेट से है

भाग 2 : कामवाली बाई 


आज लाजो जी बड़ी परेशान थीं । शीला चौधरी के मकान के सामने ही कोने का मकान है उनका । चौधराइन और लाजो जी में बहुत शानदार पटती थी । यहां तक कि कामवाली बाई भी दोनों की एक ही थी । कामवाली बाई दीपिका पहले चौधराइन के घर में काम करती थी फिर लाजो जी के घर में आती थी । उसके बाद सीमा के घर जाती थी । आज नौ बज गये थे मगर अभी तक कामवाली बाई दीपिका आई नहीं थी । पता नहीं सभी कामवाली बाइयों के नाम हीरोइन के नामों से क्यों मैच करते हैं ? दीपिका से पहले करीना और करीना से पहले माधुरी काम करती थी लाजो जी के यहां । 
लेडीज क्लब में इस पर भी एक दिन खूब चर्चा हुई थी । सब लेडीज ने खूब मजे लिए थे उस दिन । लंबे चौड़े विचार विमर्श के बाद में यह निष्कर्ष निकला था कि कामवाली बाई भी अभिनय में किसी हीरोइन से कम नहीं होती है । शायद इसीलिए उनके नाम हीरोइनों से मिलते जुलते होते हैं । वो तो कभी किसी निर्देशक की निगाह किसी कामवाली बाई पर पड़ी नहीं, वर्ना तो फिल्म इंडस्ट्री को एक सुपर स्टार और मिल जाती । हाय रे बॉलीवुड !

लाजो जी ने दो तीन बार फोन खड़का दिया था दीपिका को मगर उसने एक बार भी नहीं उठाया और न ही कॉल बैक किया । 
"इन कामवाली बाइयों की बड़ी बुरी आदत होती है । ना तो कभी फोन उठाती हैं और ना ही कभी कॉल बैक करती हैं । नहीं आना है तो पहले कभी बताती नहीं और पूछो तो सौ बहाने गिना देती हैं । उसके इंतजार में हम लोग बैठे रहते हैं । इंतज़ार करते करते जब दोपहर हो जाती है तो फिर काम करने का मन नहीं करता है । अगर उसे कुछ काम था तो कल ही बता देती । मैं सुबह से जैसे तैसे कुछ तो कर लेती । मगर ये तो महारानियां हैं । जब मर्जी होगी आयेंगी और जब मर्जी होगी नागा कर देंगी । पगार पूरी चाहिए इनको । एक दिन की भी पगार अगर काट लो तो बस, मुंह सूज जाता है इनका । और दूसरे दिन से तो गायब ही हो जायेंगी महारानी । मगर क्या करें , नखरे सहन करने के सिवाय और कर भी क्या सकते हैं ? हमसे तो अब काम होता नहीं है । इसलिए इनकी गुलामी करनी पड़ती है । पत्नियां अगर डरती हैं तो बस कॉकरोच से या कामवाली बाई से । मगर अब क्या करें" ? लाजो जी सोचने लगी । 

लाजो जी को ध्यान आया कि दीपिका पहले चौधराइन के यहां जाती है काम करने । क्या पता वहां पर काम ज्यादा हो आज ? चलो, चौधराइन से ही पूछ लेते हैं । लाजो जी ने चौधराइन को फोन लगा दिया 
"हैलो" चौधराइन की आवाज आई 
"हां भाभीजी मैं बोल रही हूं , लाजो।  कैसन बा" ।मिसरी से भी मीठी आवाज में लाजो बोली 
"ठीक बा।  आज सुबह सुबह कैसे लगा लिया फोन । फुरसत में हो क्या" ? चौधराइन लाजो को छेड़ते हुए बोली ।

"अरे नहीं भाभी, बहुत काम पड़ा है । अभी तो बेटी को जगाना है । इनसे अखबार छुड़वाना है । जब तक पूरा अखबार चाट नहीं जाते, छोड़ते ही नहीं हैं ये । मुझे जबरन छुड़वाना पड़ता है । बहुत काम है । अभी तो कुछ भी काम नहीं हुआ है घर में  । आपका तो सारा काम हो गया होगा" ? 
"अरे कहां ? अभी तो सुबह की चाय तक नहीं बनी है । उस करमजली दीपिका का इंतजार करते करते थक गई हूं मगर नासपीटी अभी तक नहीं आई है । जाने कहां मर गई बेहया" और दो चार गालियां दे डाली थीं दीपिका को उन्होंने । 
"क्या भाभीजी ! अभी तक आई नहीं वह हरामखोर ? बहुत नागा करती है यह । इसकी पगार काटनी पड़ेगी इस महीने, तब जाकर मानेगी यह" । 
"वो तो बाद में सोच लेंगे, लाजो जी । पर अभी तो यह सोचना है कि घर का काम कैसे होगा आज ? बेटी को जगाती हूं और कुछ बहू से करवाती हूं । अच्छा अब चलते हैं । बहुत देर हो चुकी है । बाय बाय" । 

दीपिका की छुट्टी की बात सुनकर  लाजो की भी हालत खराब हो गई । सैकड़ों गालियां दे डाली उसने दीपिका को । पर गालियां देने से कोई काम होता है क्या ? काम तो करने से ही होगा । 
"पहले टीया को जगाती हूं । झाड़ू वह लगा लेगी । मैं पोंछा कर दूंगी और बहू नाश्ता बना देगी । सब मिलकर कर लेंगे घर का सारा काम" । उसने खुद को दिलासा देते हुए कहा । 

"टीया,  टीया,  ओ टीया। अरे, नौ बज गये बेटा । अब जग जाओ । आज दीपिका भी नहीं आई है इसलिए झाड़ू तुम्हें ही लगानी है । चलो जल्दी करो" । 
"ये क्या लगा रखा है मम्मा , सोने भी नहीं देती हो चैन से । इतना शोर क्यों मचा रही हो । मैं नहीं जगने वाली अभी । मैं तो अभी थोड़ी देर पहले ही तो सोई हूं" । 
"क्या किया था तूने रात भर ? कौन सा पहाड़ खोद डाला तूने जो रात भर जागी थी" । 
"अब क्या बताऊं मम्मा मैं आपको ? आपके जमाने में तो कुछ होता नहीं था न, आजकल तो सब कुछ होता है । तो बस, वही कर रही थी मैं" । गोलमोल करते हुए वह बोली ।
"मतलब चैटिंग" ? 
"हां , चैटिंग ही कर रही थी" 
"किससे" ? 

टीया खामोश हो गई । क्या बताये वह ? एक बार तो मन में आया कि कह दे हां , ब्वाय फ्रेंड से चैटिंग कर रही थी । मगर वह खामोश ही रही और भरी गर्मी में 16 पर ए सी चलाकर रजाई ओढकर सो गई।  लाजो चिल्लाती ही रह गई । 

अब बहू की बारी थी । मगर लाजो को पता था कि जिस भाषा और टोन में उसने टीया से बात की थी उस भाषा और टोन में वह बहू रितिका से बात नहीं कर सकती थी । इसलिए उसने धीरे से आवाज दी 
"रितिका , रितिका" । 
रितिका ने तो पता नहीं सुना था या नहीं पर बेटे प्रथम ने जरूर सुन लिया था और वह नीचे आ गया । 
"क्या है मम्मा" ? 

लाजो ने देखा कि रितिका के बजाय प्रथम आया है तो वह बोली "जा रितिका को जगा दे । आज दीपिका नहीं आई है तो रितिका झाड़ू लगा देगी और मैं पोंछा लगा दूंगी" 
"मम्मा , वह रात को बहुत देर से सोई है । उसकी मम्मा का फोन था । उन्ही से बात करती रही रात भर । चार बजे सोई है वह । फिर आज उसकी वर्चुअल मीटिंग भी है । नींद पूरी नहीं होगी तो मीटिंग में ऊंघेगी वह । और फिर उसके बॉस पर क्या इंप्रेशन पड़ेगा उसका" ? 

लाजो को काटो तो खून नहीं । एक तो कामवाली बाई नहीं आई । उसकी खुन्नस भरी पड़ी थी । वह बाहर नहीं निकली थी अभी तक । दूसरे, बेटी टिया न जाने रात भर क्या क्या चैटिंग करती रहती है ? और लाख टके का सवाल है कि किससे चैटिंग करती है ? और बहू ? अपनी महतारी से फोन पर ही लटकी रही रात भर ? हे भगवान,  ऐसे दिन दिखाने से पहले ही उठा लो प्रभु " । लाजो जी की आंखों में पानी आ गया मगर वे उन्हें पी गईं । 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
18.5.22 

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7 Comments

Saba Rahman

24-May-2022 09:25 PM

Osm

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Neelam josi

21-May-2022 03:44 PM

Very nice 👍🏼

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Haaya meer

19-May-2022 12:58 PM

Amazing

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